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अच्छों के साथ अच्छा, बुरे के साथ बुरा

 लेखक - रंजीत केरकेटटा महाराजा जयचंद, जय देश का शासक था। उसने दो शादियां की थी, उसकी पहली पत्नी का देहांत  हो चुका था, उसकी एक बेटी थी। उसका नाम मीरा था। अब राजा की दूसरी पत्नी ही उस देश  की महारानी थी, उसकी भी एक  बेटी थी। उसका नाम सुकन्या था। मीरा और सुकन्या की उम्र  लगभग समान थी। राजा को लकवा  था, इसलिए  वह हमेशा बेड पर ही पड़े रहते थे। राज्य की  शासन-व्यवस्था उनकी दूसरी पत्नी के हांथो में था।  महारानी, राजा की पहली पत्नी की बेटी मीरा के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करती थी। वह  उससे अच्छे कपड़े, अच्छा खाना नहीं देती थी, उसे हमेशा एक नौकरानी की तरह रखती थी। पर वहीं   महारानी अपनी बेटी सुकन्या को बहुत अच्छे कपड़े और उसकी सारी आवश्यकता को पूरा करती थी,  उसे महल की सारे सुख सुविधा देती थी। यह सब देख राजा को बहुत बुरा लगता था, पर राजा कर भी  क्या सकते थे, वो तो ऐसे ही लाचार थे। ऐसे भी सभा में अब उनकी बात नहीं चलती थी। सब महारानी  की बात पर चलते थे। मीरा, महारानी की बेटी सुकन्या से ज्यादा सुंदर थी। इसलिए महारानी मीरा को  महल के बाहर एक छोटे से घर में रखती थी और उसे फटे-पुराने कपड़े पहनने को द

एक चुड़ैल और पांच भाई

  जंगल के किनारे एक छोटा सा गांव था। उस गांव में लोगों की संख्या काफी कम थी, क्योंकि बगल के जंगल में  एक चुड़ैल  रहती थी, जो उस गांव के बहुत सारे लोगों को अपना शिकार बना चुकी थी। वह चुड़ैल खासकर गांव  के जवान लोगों को  अपना शिकार बनाती थी।  इसी गांव में, पांच भाई रहने के लिए आते हैं। वे बहुत बहादुर थे। गांव में आने के बाद उन्हें पता चला कि  जंगल में  कोई चुड़ैल है जो गांव के बहुत सारे लोगों को अपना शिकार बना चुकी है इस पर बड़े भाई बाकी भाइयों से  पूछा  कि हमें इस गांव में रहना है या हम किसी और गांव की तलाश करें इस पर बाकी भाइयों ने कहा - "हमें यहां  रुक  कर यहां के लोगों की मदद करनी चाहिए यदि वह चुड़ैल आती है तो हम उसका मुकाबला करेंगे "।  कुछ दिनों के बाद चुड़ैल को पता चला कि गांव में पांच भाई रहने के लिए आए हैं तो वह यह जानकर बहुत  खुश  हो गई और उन्हें अपना शिकार बनाने के बारे में सोचने लगी। एक दिन सभी भाई जंगल के किनारे खेत में काम  कर रहे थे तभी वह चुड़ैल वहां आ गई, और उन भाइयों से कहने लगी- "तुम लोगों ने यहां आकर बहुत अच्छा  किया,अब मैं तुम लोगों को भी अपना शिकार बन